सोमवार, 6 जुलाई 2015

फूल जो मिला किताब में.

खो गया था जो कभी कहीं,
फूल वो मिला किताब में,

खेलती थी साथ जो मेरे,
छुपती है वो अब हिजाब में,
मिलती है जो अब अगर कहीं ,
सवाल रहता हर जवाब में,

खो गया था जो कभी कहीं,
फूल वो मिला किताब में,

मुब्तिला है दिल बहुत मेरा,
महबूब के इश्क ए अजाब में,
आज सोचता हूँ बैठ कर,
क्या कमी हुई हिसाब में,

खो गया था जो कभी कहीं,
फूल वो मिला किताब में,

पता नहीं अभी तलक चला,
क्या मिला इश्क ए खिताब में,
पूँछता हूँ हाले ए दिल अगर,
कहा दिल नही बचा जनाब में,

खो गया था जो कभी कहीं,
फूल वो मिला किताब में,

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