बुधवार, 13 अगस्त 2014

स्मृणिका.

मंज़िल को पास जो देख लिया,
बेकल हो हर पल बीत रहा,
स्मृणिका को नमन करूँ,
पल पल अब मेरा रीत रहा,

चल पड़े सभी थे साथ मेरे,
थल नभ सौरभ वृंद सभी,
स्वांस भी मेरे साथ रही,
औ जीवन के मकरंद सभी,

इक इक क्षण को गिनूँ अगर,
अनगिनत ना बीते होंगे क्षण,
सब उल्लासों का लेखा दूँ,
कम होंगे ना जीवन के वृण,

सारी रीत निभा कर के,
अब बना है जीवन गीत मेरा,
स्वाँस रहे ना साथ भले,
बस साथ रहे वो मीत मेरा,

मंज़िल को पास जो देख लिया,
बेकल हो हर पल बीत रहा,
स्मृणिका को नमन करूँ,
पल पल अब मेरा रीत रहा,