रविवार, 13 अक्तूबर 2013

कैद में राम

प्यार की नज़रों का उतार देखिये,
हर घर में रिश्ता बीमार देखिये,

खुशियों के आँसू हज़ार दिखेंगे,
अब उन्ही आँसुओं का व्यापार देखिये,

जिंदगी  भी ना रही खाते में अपन के,
मौत की सूरत भी अब खूंखार  देखिये,

बैैठे थे लेकर कफन सेहरा समझ कऱ
अब सर भी नही रहा ये रार देखिये,

कैद राम हो गये रामायन में अब,
शहर में अब रावन हजार देखिये,

धुरंधरों ने धर्म को धंधा बना दिया,
हर डगर पे लग चुके पंडाल देखिये,

मरते हो तो मर जाओ उनकी बला से,
जाम बना आम है त्योहार देखिये।