बुधवार, 20 जुलाई 2011

घर मेरा घर.


घर मेरा घर.









ईंटों से गिरती फफूंदी ना देखो,


देखो टिमटिमाते तारों का घर,

मेरे घर का दरका सा आंगन ना देखो,

देखो स्नेहिल दीवारों का घर,

कुछ रद्दी से कागज भी बिखरे दिखेंगे,

गद्दे रजाई भी उधड़े दिखेंगे,

कोने में दिखेगी पडी हुई कटोरी,


अद्रश्य प्रेम की मजबूत डोरी,

ना देखो बेतरतीब बिखरा सा कूड़ा,

देखो मेरी माँ के हांथों का चूडा,

हर कोने में घर के ज़न्नत है बिखरी,

कण कण में जीवन की आशाएं निखरी,

छत से टपकता तुम देखो ना पानी,

इसी घर में गुजरी है मेरी नादानी,

मेरा घर है यादों का निर्मल सरोवर,

मेरी बूढ़ी दादी के सपनों का जेवर,

कही से भी घर को हमने तोडा नही है,

नई कोई दीवार भी जोड़ा नही है,

अभी भी मेरा घर है वैसे का वैसा,

दादा ने अपने पीछे छोड़ा था जैसा,

सपनों का घर,संस्कारों का घर,

सावन की रिमझिम फुहारों का घर,सावन की रिमझिम फुहारों का घर,